Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 7:
अंतिम दौर-दो
Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 7 Question and Answers
प्रश्न 1.
भारत में आज़ादी के लिए किन दो गुटों ने जन्म लिया?
(i) उग्र और नरम
(ii) नरम दल और गरम दल
(iii) तीव्र और भेद
(iv) मुख्य और गौण
उत्तर:
(ii) नरम दल और गरम दल
प्रश्न 2.
गांधी जी की कार्य पदधति का रूप क्या था?
(i) हिंसात्मक
(ii) अहिंसात्मक
(iii) विरोध
(iv) बदला
उत्तर:
(ii) अहिंसात्मक
प्रश्न 3.
भारत के विभाजन में किस नेता का योगदान रहा?
(i) मिस्टर जिन्ना
(ii) अबुल कलाम आजाद
(iii) गांधी
(iv) जवाहर लाल नेहरू
उत्तर:
(i) मिस्टर जिन्ना
प्रश्न 4.
कांग्रेस किस सिद्धांत पर अडिग रही?
(i) राष्ट्रीय एकता
(ii) लोकतंत्र
(iii) राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र
(iv) अन्य
उत्तर:
(iii) राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध के समय राजनीतिक स्थिति क्या थी?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के समय राजनीतिक स्थिति उतार पर थी।
प्रश्न 2.
कांग्रेस में दो दल कौन-कौन से थे?
उत्तर:
कांग्रेस में दो दल थे (1) गरम दल (2) नरम दल।
प्रश्न 3.
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद देश में लोगों की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद देश में आम लोगों की स्थिति दयनीय थी। किसान, मजदूर, वर्ग, मध्यम वर्ग सभी आक्रांत थे। उनका बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा था। देश में भुखमरी और गरीबी बढ़ती जा रही थी।
प्रश्न 4.
मार्शल लॉ क्या था?
उत्तर:
‘मार्शल लॉ’ अंग्रेज़ी सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून था जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय पुलिस व न्यायालय की आदेश के बगैर गोली का निशाना बनाया जा सकता था।
प्रश्न 5.
गांधी जी द्वारा अहवान करने पर देश की आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
गांधी जी द्वारा आम जनता को अह्वान करने पर ‘डरो मत’ किए जाने पर लोगों में ब्रिटिश सरकार का डर समाप्त हो गया। वे अपने कार्य खुलेआम करने लगे। उनमें हौंसला और साहस की वृद्धि हुई और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन दिखाई पड़ने लगा।
प्रश्न 6.
भारतीय संस्कृति के बारे में गांधी जी के क्या विचार थे?
उत्तर:
गांधी जी ने भारतीय संस्कृति के बारे में लिखित रूप में कहा कि “भारतीय संस्कृति न हिंदू है न इस्लाम, न पूरी तरह से कुछ और है। यह सबका मिलाजुला रूप है। उन्होंने हिंदू धर्म को सार्वभौमिक यानी सबके लिए समान रूप देना चाहा। सत्य के घेरे में सबको शामिल करने का प्रयास किया।
प्रश्न 7.
कांग्रेस किस प्रयासों में असफल रही?
उत्तर:
कांग्रेस ने बहुत प्रयास किया कि सांप्रदायिक तत्वों को राजनीति में न लाया जाए लेकिन मुस्लिम लीग ने सहयोग न किया और राष्ट्रीय एकता कायम रखने में असफल रही।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गांधी जी के सपनों का भारत कैसा था?
उत्तर:
गांधी जी ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते थे- जिसमें गरीब-से-गरीब व्यक्ति भी यह महसूस करेगा कि यह उसका देश है जिसके निर्माण में उसका योगदान रहा है। एक ऐसा भारत हो जिसमें लोगों के बीच ऊँच-नीच, अमीर-गरीब का भेद न हो। ऐसा भारत जिसमें सभी जातियाँ समभाव से रहें। ऐसा भारत हो जिसमें भेद-भाव से रहित हो, छुआछूत की जगह न हो, नशीली मदिरा और दवाइयों के अभिशाप के लिए कोई जगह नहीं हो, जिसमें स्त्री-पुरुषों के समान अधिकार हों, यही गांधी जी के सपनों का भारत है।
प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर देश में राहत और प्रगति की बजाय दमनकारी कानून और पंजाब में मार्शल लॉ लागू हुआ। जनता में अपमान की कड़वाहट और क्रोध फैल गया और शोषण का बाजार गर्म था। इससे लोगों की आशा निराशा में बदल गई।
प्रश्न 3.
गांधी जी की कार्य-प्रणाली क्या थी?
उत्तर:
गांधी जी की कार्य प्रणाली अहिंसात्मक थी, उसमें हिंसा के लिए लेशमात्र की जगह नहीं थी। उनके काम करने का तरीका पूर्णतया शांतिपूर्वक था लेकिन जिस बात को गलत समझा जाता था उसके आगे सिर झुकाना भी उन्होंने कबूल नहीं किया। उन्होंने लोगों को अंग्रेजों के द्वारा दी गई पदवियाँ वापस करने के लिए प्रेरित किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन व असहयोग आंदोलन उन्हीं की देख-रेख में भारत में चले, जिन्होंने अंग्रेज़ी सरकार को उखाड़कर रख दी।
पाठ-विवरण
इस पाठ के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंतिम दो दौर का वर्णन किया गया है।
Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 7 Summary
राष्ट्रीयता बनाम साम्राज्यवाद : मध्य वर्ग की बेबसी गांधी जी का आगमन- दूसरे विश्वयुद्ध के शुरुआत होने के समय कांग्रेस की राजनीति में उतार आया था। इसका मुख्य कारण कांग्रेस का दो गुटों में बँटना था। जिनमें एक था नरमदल और दूसरा गरम दल। विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद भारत में अंग्रेजों द्वारा दमनकारी कानून और भारत में मार्शल ला लागू हुआ। भारतीय जनता का शोषण लगातार बढ़ने लगा। तभी भारतीय राजनीति में गांधी का उदय हुआ। वे करोड़ों की आबादी से निकलकर आए थे। वे जनता की भाषा बोलने वाले और जनता के सच्चे शुभ चिंतक थे। अतः उन्होंने भारत में करोड़ों जनता को प्रभावित किया। गांधी ने पहली बार कांग्रेस के संगठन में प्रवेश किया। इस संगठन का उद्देश्य था सक्रियता और तरीका था शांतिप्रिय तरीके से। गांधी ने आते ही ब्रिटिश शासन की बुनियादों पर चोट की। उन्होंने लोगों से कहा कि अपने अंदर का भय निकाल दो क्योंकि आम लोगो की व्यापक दमनकारी, दमघोटू भय सेना का, पुलिस का, खुफिया विभाग का, अफसरों, जमीनदारों, साहूकारों, बेकारी और भुखमरी का भय सताता रहता था। गांधी जी की प्रेरणा से लोगों ने भयमुक्त होकर काम करना शुरू किया। इससे लोगों में मनोवैज्ञानिक परिवर्तन का संचालन हुआ। यह परिवर्तन असंख्य लोगों को प्रभावित कर रहा था। उनकी इस प्रेरणा से सभी आम जनता में जागरुकता का विस्तार हुआ।
गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस सक्रिय
गांधी जी ने पहली बार कांग्रेस में प्रवेश करते ही उसके संविधान में परिवर्तन ला दिया। उन्होंने कांग्रेस को लोकतांत्रिक संगठन बनाया। इस संगठन का लक्ष्य और आधार था सक्रियता। इसके परिणामस्वरूप किसानों ने कांग्रेस में भाग लेना शुरू किया। अब कांग्रेस विशाल किसान संगठन दिखाई देने लगा। गांधी जी का सक्रियता का आह्वान दोहरा था – विदेशी शासन को चुनौती देना और इसका मुकाबला करना। अपनी खुद की सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध लड़ने में भी सक्रियता थी। गांधी जी ने अंग्रेजी शासन की बुनियादों पर चोट की। लोगों से इसके विरोध में मैडल और खिताब वापस करने की अपील की। धनी लोगों ने सादगीभरा जीवन व्यतीत करना अपना लिया। गांधी जी के अनुसार आज़ादी पाने के लिए आम जनता की भागीदारी आवश्यक है। वे हर काम को शांतिपूर्ण तरीके से सही ढंग से करते थे । उनका मानना था कि भारतीय संस्कृति धर्मनिरपेक्ष है। यह सभी धर्मों का सम्मिश्रण है। गांधी जी सभी की भावनाओं का सम्मान करते थे। वे प्रायः लोगों की इच्छा के सामने झक जाते थे। कभी-कभी अपने विरुद्ध फैसले स्वीकार कर लेते थे। सन् 1920 तक कांग्रेस में शामिल और आम लोगों ने गांधी के रास्ते को अपनाकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया। पहली बार नए आंदोलन हुए, सविनय अवज्ञा आंदोलन हुआ, असहयोग की नीति अपनाई गई लेकिन यह अहिंसक आंदोलन था।
अल्पसंख्यकों की समस्या-मुस्लिम लीग-मोहम्मद अली जिन्ना
भारत सदैव से धर्म निरपेक्षता का अनुसरण करता रहा और सभी धर्मों को एक समान मान्यता दी। यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं किया गया। लेकिन भारत में उस समय राजनीतिक मामलों में धर्म का स्थान सांप्रदायिकता ने ले लिया था। कांग्रेस इन धार्मिक सांप्रदायिक मामलों का हल निकालने के लिए उत्सुक और चिंतित थी। कांग्रेस की सदस्य संख्या में अधिकांश हिंदू सदस्य थे। कांग्रेस मुख्यतः दो बुनियादी प्रश्नों पर अटल रही – राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र। 1940 में कांग्रेस ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश सरकार की नीति ‘नव जीवन में संघर्ष और फूट को प्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देती है।’
ऐसे में भारत की बलि देना और लोकतंत्र का त्याग करना देश के लिए अहितकर था। अंग्रेज़ों की नीति हिंदू और मुस्लिम एकता को कमज़ोर करना रहा। वे फूट डालो राज्य करो की नीति को अपनाते थे। ऐसे में कांग्रेस ऐसा कोई हल न ढूँढ़ सकी जिससे सांप्रदायिक समस्या को सुलझाया जा सके।
अब हर हाल में हिंदू और मुसलमानों में दीवार खड़ी करना चाहता थे। वे हिंदू-मुस्लिम के मत-भेदों को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास करने लगा।
मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना की माँग का आधार एक नया सिद्धांत था- भारत में दो राष्ट्र हैं- हिंदू और मुसलमान। अब मुस्लिम लीग के अगुवा जिन्ना ने हिंदू और मुसलमान के लिए दो अलग राष्ट्रों की घोषणा की। इससे देश में भारत और पाकिस्तान के रूप में विभाजन की अवधारणा विकसित हुई। इससे दो राष्ट्रों की समस्या का हल न हो सका क्योंकि हिंदू व मुसलमान पूरे राष्ट्र में ही थे।
शब्दार्थ:
पृष्ठ संख्या 106.
विभाजन – बँटवारा, गरमदल – गरम विचारों वाला, नरमदल – नरम विचारों वाला, प्रतिबंध – रोक, दमनदारी – नष्ट करने वाला, आवेश – उत्तेजना, निर्मम – निर्दय, दब्बू, डरने वाला।
पृष्ठ संख्या 107.
सर्वग्रामी – सबको निगल लेने वाला, आकाशद्वीप – आकाश में चमक बिखेरने वाले, सोचनीय – खराब, चिंताजनक, दुर्गति – बुरी स्थिति, प्रबल – मज़बूत, खुफिया – जासूस, कारिंदा – जमींदार के लिए काम करने वाला, लाबादा – ढीलाढाला ऊपरी पोशाक आंशिक अधूरा।
पृष्ठ संख्या 108.
लोकतांत्रिक – लोगों के प्रभुत्व वाला, हैसियत – औकात, सक्रियता – क्रियाशील होना, विकल्प – तरीके, ऊर्जा – शक्ति, शिष्ट – सभ्य, आह्वान – प्रेरित करना।
पृष्ठ संख्या 109.
बुनियादी – नीवों/आधार, खिताब – पदवी, उपहासास्पद – मज़ाक उड़ाने योग्य, अभद्र – अशिष्ट, वेशभूषा – पहनावा, निष्क्रिय – कार्य न करना, निवृत्तिमार्गी – मुक्ति के मार्ग को अपनाने वाले, पैठाने – स्थान देने।
पृष्ठ संख्या 110.
मतभेद – विचार एक न होना, धर्मप्राण – धार्मिक, अंतरतनम – मन की गहराइयों से, अवधारणा – विचार, दृढ़ – पक्का, अहिंसा – बिना हिंसा के अनुरूप, मदिरा – शराब, एक नशीला पेय।
पृष्ठ संख्या 111.
लगन – गहरी रुचि, गौण – तुच्छ, कम महत्त्वपूर्ण, अलंकार – सजावट का सामान, आकांक्षा – इच्छा, सम्मोहित – अपनी ओर आकर्षित कर लेना, तटस्थ – किसी विशेष पक्ष का साथ न देनेवाला, प्रभुत्व – प्रभाव।
पृष्ठ संख्या 112.
सांप्रदायिक समस्या – धर्म के आधार पर बनाई हुई समस्या, संरक्षण – सहारा, बढ़ावा, भाषिक – भाषा संबंधी।
पृष्ठ संख्या 113.
स्वाधीनता – स्वतंत्र रहने की भावना, एक – एकता, बनियादी – आधारभूत, अडिग – दृढता से अपने मत पर स्थिर रहना, भड़काना – उग्रता को बढ़ावा देना, खल्लम खुल्ला – खले रूप में, सामंती – जमींदारी, विभाजन – बँटवारा, अस्वीकार – अमान्य, खुल्लमखुल्ला – स्पष्ट रूप से सबके सामने, एकता की बलि – एकता को तोड़ना।
पृष्ठ संख्या 114.
प्रोत्साहित – उत्साहित, अतीत – बीता हुआ, बहुराष्ट्रीय – बहुत से राष्ट्र।